ज्ञान -विज्ञान और मानविकी विषयों से सम्बंधित मौलिक शोधपरक तथ्यों को प्रामाणिता के साथ शोधार्थियों और प्राध्यापकों के मध्य साझा करने का उपयुक्त माध्यम 'वाग्प्रवाह' हैं। यद्यपि कम्प्यूटर और मोबाइल क्रान्ति ने जनसामान्य तक अनेक तरह की सामग्री को बहुत सरल और सहज रूप से संप्रेषित करने में सफलता पा ली है, किंतु तथ्यों की प्रामाणिकता संदिग्ध है। इसी को स्थाई और प्रामाणिक स्वरुप प्रदान करने के लिए 'वाग्प्रवाह 'का प्रकाशन सन 2009 से अद्यावधि प्रकाशित हो रहा है। ज्ञान और मनोरंजन के अन्यान्य साधन उपलब्ध होने के बावजूद भी पत्र - पत्रिकाओं की उपादेयता अक्षुण्ण है।
रेफरीड (Refereed )और पीर रिव्यूड (Peer Reviewed ) वाग्प्रवाह पत्रिका में 'नयी शिक्षा नीति -2020' के दिशा -निर्देशों (NEP-2020) और UGC द्वारा समय - समय जारी संस्तुतियों /सुझावों के आधार पर मानविकी विषयों के अंतरानुशासनिक (Interdisciplinary )शोध पत्रों को विषय -विशेषज्ञ की संस्तुति के चयनोंपरांत प्रकाशित किया जाता है। पत्रिका में सम -सामयिक /ज्वलंत समस्याओं, वैचारिक लेखों के साथ सृजनात्मक लेखन को भी समाहित किया गया है।
यह पत्रिका देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों और पुस्तकालयों में भी उपलब्ध है।वाग्प्रवाह में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के शोध पत्रों का प्रकाशन किया जाता है।
पत्रिका के संपादन एवं संचालन से जुड़े समस्त पद अवैतनिक और अव्यावसायिक हैं। पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्रों /लेखों की सामग्री से संपादक - मंडल का सहमत होना जरूरी नहीं है। वह लेखक के अपने निजी विचार हो सकते हैं।
वाग्प्रवाह से सम्बंधित सभी विवाद केवल लख़नऊ न्यायालय के अधीन होंगे।